भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोई नहीं सुन पाएगा / सोमदत्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सोमदत्त |संग्रह=पुरखों के कोठार से / सोमदत्त }} <Poem...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:11, 24 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण
भकोसेंगे डट के हम
ढकोसेंगे डट के हम
डट के गाएंगे
डट के सोग मनाएंगे
डट के ठहाके लगाएंगे
सचमुच डट के रोएंगे हम और कोई नहीं सुन पाएगा