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उत्तर में / रामधारी सिंह "दिनकर"
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कल 15:45 बजे
जीवन ही है एक कहानी
घृणा और
अपमनों
अपमानों
की।
नीरस मत कहना, समाधि
है हृदय भग्न अरमानों की।
Arti Singh
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