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"मैदान / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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माँ बोली - "सुन बेटी<br>
 
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बदल गया ज़माना <br>
 
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जब ज़िन्दा थे तेरे नाना<br>
 
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तब मै यही से निकली थी <br>
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यह चौडा रस्ता था<br>
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सँकरी गली थी<br>
 
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दोनो ओर जंगल था बियाबान<br>
 
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अब हो गया है मैदान।<br><br>
 
अब हो गया है मैदान।<br><br>

22:41, 28 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

एक मक्खी
और उसकी बच्ची
एक गंजे का सिर
पार कर रही थीं
कहीं पकडी न जाएँ
इसलिए डर रही थीं।
माँ बोली - "सुन बेटी
बदल गया ज़माना
जब ज़िन्दा थे तेरे नाना
तब मै यहीं से निकली थी
यह चौडा़ रस्ता था
सँकरी गली थी
दोनो ओर जंगल था बियाबान
अब हो गया है मैदान।