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मुक्तक - 61
प्रेम की पीर का एक इतिहास हो
एक तपते मरुस्थल की तुम प्यास हो
मुक्तक - 7 2
कोई रूठा तो कहते हो क्या हो गया
दिल जो टूटा तो कहते हो क्या हो गया
मुक्तक - 8 3
बंद कमरे में सिमटी हुयी जान है
आदमी आदमी से परेशान है
मुक्तक - 9 4
फूल मुरझा गया पत्तियाँ न मिलीं
मुक्तक -10 5
भक्ति रस में रमा नाम बन जाओगे