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"मुझसे अहबाब भी मिलते रहे अनबन रख के /ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर

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मुझको अहबाब भी मिलते रहे अनबन रखके
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मुझसे अहबाब भी मिलते रहे अनबन रखके
 
कभी लपटें तो कभी जेब में चन्दन रखके
 
कभी लपटें तो कभी जेब में चन्दन रखके
  

19:27, 30 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

मुझसे अहबाब भी मिलते रहे अनबन रखके
कभी लपटें तो कभी जेब में चन्दन रखके

अब हवाएँ भी चली आती हैं लेके पत्थर
अब मैं डरता हूँ बहुत काँच के बरतन रखके

ज़लज़लो ! मैंने तुम्हें अपना बनाया मेहमाँ
और तुम बैठ गए नींव में कम्पन रखके

चल दिया दोस्त पुराना मेरे घर से आख़िर
मेरी टेबल पे कोई याद की कतरन रखके

अपनी औक़ात का मीज़ान लगा ऐ चिड़िया !
क्या मिलेगा तुझे आकाश से अनबन रखके

ज़िन्दगी, तू मुझे जीने दे फ़कीरों की तरह
क्या करूँगा ये तेरा राज सिंहासन रखके.