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एक दिन अकस्मात
एक पूराने पुराने मित्र सेहो गै गई मुलाकात
कहने लगे-"जो लोग
कविता को कैश कर रहे है
वे ऐश कर रहे हैं
लिखने वाल वाले मौन है
श्रोता तो यह देखता है
कि पढ़ने वाला कौन है
उर्दू का रिजेक्टेड माल
हिन्दी में चल रहा है
चोरें चोरों के भरोसे
ख़ानदान पल रहा है
ग़ज़ल किसी की
अखिल भारतीय बना दिया
सारे देश में घुमा दिया
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