भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ख़ुशियाँ मनाने से / संजय चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |संग्रह=प्रकाशवर्ष / संजय चतुर्...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:25, 10 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण

भूख थोड़ा कम लगती है
नग्नता धरोहर बन जाती है संस्कृति की
ख़ूब बिकती है भीतर की लाचारी
बाहर की दुकान पर
नाचने से शरीर की हड्डियाँ नहीं दिखाई पड़तीं
नाच हर आदमी को अच्छा लगता है

बात थोड़ा कम कहने में ही
कविता रहती है
इस तरह का ऎलान है शायद।