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"सर्दियाँ (१) / कुँअर बेचैन" के अवतरणों में अंतर
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छत हुई बातून वातायन मुखर हैं | छत हुई बातून वातायन मुखर हैं | ||
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सर्दियाँ हैं। | सर्दियाँ हैं। | ||
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एक तुतला शोर | एक तुतला शोर | ||
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सड़कें कूटता है | सड़कें कूटता है | ||
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हर गली का मौन | हर गली का मौन | ||
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क्रमशः टूटता है | क्रमशः टूटता है | ||
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बालकों के खेल घर से बेख़बर हैं | बालकों के खेल घर से बेख़बर हैं | ||
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सर्दियाँ हैं। | सर्दियाँ हैं। | ||
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दोपहर भी | दोपहर भी | ||
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श्वेत स्वेटर बुन रही है | श्वेत स्वेटर बुन रही है | ||
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बहू बुड्ढी सास का दुःख | बहू बुड्ढी सास का दुःख | ||
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सुन रही है | सुन रही है | ||
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बात उनकी और है जो हमउमर हैं | बात उनकी और है जो हमउमर हैं | ||
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सर्दियाँ हैं। | सर्दियाँ हैं। | ||
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चाँदनी रातें | चाँदनी रातें | ||
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बरफ़ की सिल्लियाँ हैं | बरफ़ की सिल्लियाँ हैं | ||
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ये सुबह, ये शाम | ये सुबह, ये शाम | ||
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भीगी बिल्लियाँ हैं | भीगी बिल्लियाँ हैं | ||
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साहब दफ़्तर में नहीं हैं आज घर हैं | साहब दफ़्तर में नहीं हैं आज घर हैं | ||
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सर्दियाँ हैं। | सर्दियाँ हैं। | ||
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03:34, 4 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
छत हुई बातून वातायन मुखर हैं
सर्दियाँ हैं।
एक तुतला शोर
सड़कें कूटता है
हर गली का मौन
क्रमशः टूटता है
बालकों के खेल घर से बेख़बर हैं
सर्दियाँ हैं।
दोपहर भी
श्वेत स्वेटर बुन रही है
बहू बुड्ढी सास का दुःख
सुन रही है
बात उनकी और है जो हमउमर हैं
सर्दियाँ हैं।
चाँदनी रातें
बरफ़ की सिल्लियाँ हैं
ये सुबह, ये शाम
भीगी बिल्लियाँ हैं
साहब दफ़्तर में नहीं हैं आज घर हैं
सर्दियाँ हैं।