Changes

ऊहापोह / जयप्रकाश मानस

6 bytes added, 21:01, 4 मार्च 2008
}}
उफनती उफ़नती नदी की शक्ल में
मसकता है लावा
जैसे छिटककर कोई बीज पेड़ से
विवेक गम गुम हो जाता है
जैसे अनाड़ी के हाथ से
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,276
edits