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"प्रयाणगीत / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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− | अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो, | + | स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती |
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− | असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी। | + | असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी। |
− | सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी। | + | सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी। |
− | अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो, | + | अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो, |
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19:59, 6 जनवरी 2009 का अवतरण
हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो।
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी।
अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो।