भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बहुत हुआ-1 / सुधीर मोता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर मोता }} <poem> कभी न कहना बहुत हुआ जो जितना हो ज...)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:01, 13 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

कभी न कहना
बहुत हुआ

जो जितना हो जाता है
वह सदा मध्य है
कुछ होने से
कुछ होने का
सदा शेष रह जाता है
कभी न होता
बहुत हुआ।