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"बहुत दिनों से / गजानन माधव मुक्तिबोध" के अवतरणों में अंतर

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तुमसे चाह रहा था कहना!
 
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कुहरे की मेघों की आशा त्याग
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कुहरे की मेघों की भाषा त्याग
 
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रूप बदलकर रंग बदलकर कहे।
 
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02:57, 17 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

मैं बहुत दिनों से बहुत दिनों से
बहुत-बहुत सी बातें तुमसे चाह रहा था कहना
और कि साथ यों साथ-साथ
फिर बहना बहना बहना
मेघों की आवाज़ों से
कुहरे की भाषाओं से
रंगों के उद्भासों से ज्यों नभ का कोना-कोना
है बोल रहा धरती से
जी खोल रहा धरती से
त्यों चाह रहा कहना
उपमा संकेतों से
रूपक से, मौन प्रतीकों से

मैं बहुत दिनों से बहुत-बहुत-सी बातें
तुमसे चाह रहा था कहना!
जैसे मैदानों को आसमान,
कुहरे की मेघों की भाषा त्याग
बिचारा आसमान कुछ
रूप बदलकर रंग बदलकर कहे।