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"पवाड़ा / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

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बहुत डर लगता है मित्र  
 
बहुत डर लगता है मित्र  
 
पहाड़ की कोई पसली जब टूटकर  
 
पहाड़ की कोई पसली जब टूटकर  
ढलानो से लढ़कती चली जाती है  
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ढलानो से लुढ़कती चली जाती है  
 
आँखें बंद कर लेता हूं  
 
आँखें बंद कर लेता हूं  
 
जब कोई देवदार  
 
जब कोई देवदार  
औंधे मुंह गिरता ह्ऐ राजमार्ग अवरुद्ध हो जाता है स्क्रीन पर दिखाए जाते हैं  
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औंधे मुंह गिरता है
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राजमार्ग अवरुद्ध हो जाता है  
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स्क्रीन पर दिखाए जाते हैं  
 
अनगिनत शव  
 
अनगिनत शव  
 
और वाचक  उसी मुस्कान के साथ  
 
और वाचक  उसी मुस्कान के साथ  
 
पढ़ता है दुर्घटना के समाचार  
 
पढ़ता है दुर्घटना के समाचार  
  
सहम जाते हूं मेरा भाई जब
+
सहम जाता हूँ
जुदा रहने की बात करता है बूढ़ी माँ मर जाने को कहती है और पत्नि करती है प्रार्थना  
+
मेरा भाई जब
संभल कर जाने की
+
जुदा रहने की बात करता है  
यहां तक कि बेटा भी  
+
बूढ़ी माँ मर जाने को कहती है
 +
और पत्नि करती है प्रार्थना  
 +
संभल कर जाने और 
 +
यहाँ तक कि बेटा भी  
 
कैंसर होने से आगाह करता है
 
कैंसर होने से आगाह करता है
बीड़ी न पीने को कहता है बस अड्डे के बोर्ड पर  
+
बीड़ी न पीने को कहता है
 +
बस अड्डे के बोर्ड पर  
 
लिखा है रहता है  
 
लिखा है रहता है  
 
एडस का कोई ईलाज नहीं  
 
एडस का कोई ईलाज नहीं  
 
ग्रहण न करें बिना जाँच  
 
ग्रहण न करें बिना जाँच  
किसी का ख़ून सुनो मित्र! तुम बताओ इतनी चेतावनिओं के बीच जीना  
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किसी का ख़ून
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सुनो मित्र!  
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तुम बताओ  
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इतनी चेतावनिओं के बीच जीना  
 
क्या आसान है?  
 
क्या आसान है?  
 
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01:16, 19 जनवरी 2009 का अवतरण

बहुत डर लगता है मित्र
पहाड़ की कोई पसली जब टूटकर
ढलानो से लुढ़कती चली जाती है
आँखें बंद कर लेता हूं
जब कोई देवदार
औंधे मुंह गिरता है
राजमार्ग अवरुद्ध हो जाता है
स्क्रीन पर दिखाए जाते हैं
अनगिनत शव
और वाचक उसी मुस्कान के साथ
पढ़ता है दुर्घटना के समाचार

सहम जाता हूँ
मेरा भाई जब
जुदा रहने की बात करता है
बूढ़ी माँ मर जाने को कहती है
और पत्नि करती है प्रार्थना
संभल कर जाने और
यहाँ तक कि बेटा भी
कैंसर होने से आगाह करता है
बीड़ी न पीने को कहता है
बस अड्डे के बोर्ड पर
लिखा है रहता है
एडस का कोई ईलाज नहीं
ग्रहण न करें बिना जाँच
किसी का ख़ून
सुनो मित्र!
तुम बताओ
इतनी चेतावनिओं के बीच जीना
क्या आसान है?