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"द्वार तक आकर / उदयन वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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02:57, 20 जनवरी 2009 का अवतरण

... और उसके बच्चे

द्वार तक आकर कँपकँपाती है
पवन, ठिठक जाता है प्रभात

वे प्रार्थना की तरह
सो रहे हैं, वह प्रार्थना
की तरह हो रही है