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09:06, 20 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
आंखो में आसमान
रचनाकार | ज्ञान प्रकाश विवेक |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
वर्ष | 2008 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 103 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- ख़ुद से लड़ने के लिए जिस दिन खड़ा हो जाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तूने लपटों को जो आँखों में उतारा होता / ज्ञान प्रकाश विवेक
- खुली कपास को शोलों के पास मत रखना / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ज़िन्दा रहने की ये तौफ़ीक उठाए रखना / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जीने का अर्थ उसने समझा दिया सभी को / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ये सच है कि वो लामकान था यारो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तुम्हारे शहर में ये बेघरों को मान मिला / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मुझे मालूम है भीगी हुई आँखों से मुस्काना / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बेचारे मुफ़लिस का चेहरा फटी हुई पुस्तक-सा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जाते-जाते वो मौसम भी क्या ले गया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जलेगा दिया तो सँवर जाएगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- फिर आज बर्फ़ पर सूरज टहलने आया है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- आँसुओं की तरह आँखों में जड़ा हूँ लोगो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- झगड़ा किया था जिसने कल रात ज़िन्दगी से / ज्ञान प्रकाश विवेक
- भोला बालक है भला कैसे सताऊँ उसको / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अजीब बात वो तिनकों का आशियाना था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- किसी बैलून की मानिंद भर गया हूँ मैं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दब न जाऊँ मैं कहीं मील का पत्थर बन कर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ख़ुशी का चाँद यहाँ कम जवान होता है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- व्याकरण हो गया वो शख़्स ज़माने के लिए / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मैं कुछ दिन से यहाँ आकर बसा हूँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हरेक आदमी बेघर है ज़िन्दगी के लिए / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कभी वो शाहसवारों की बात करता है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अजीब किस्म का विश्वास उस बशर में है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अपने विश्वास को आप तोड़ा न कर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- भूचाल जो मेरा मकान तोड़ जाएगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- इक लफ़्ज़ में जो प्यार का पैग़ाम लिख गया / ज्ञान प्रकाश विवेक
- क्यों भटकता कोई बैचैन अँधेरों की तरह / ज्ञान प्रकाश विवेक
- रेज़गारों की अदावत से बचा ले मुझको / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अपनी औक़ात समझ ख़ुद को पयम्बर न बना / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तुम कभी ज़र्रों के अन्दर देखो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- पत्थर उठा के झील में वो फेंकता रहा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अजीब किस्म का अहसास दे गया मुझको / ज्ञान प्रकाश विवेक
- पलकों से चाँदनी की किरचें उठा रहा हूँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कभी दीवार कभी दर की बात करता था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- पतंग उसने उठाई है इस उठान के साथ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दोस्ती में अदावत का डर दोस्तो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कोई बताए शहर के मौसम को क्या हुआ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- वो भोले बालक अँधेरी रातों से लड़ रहे थे / ज्ञान प्रकाश विवेक
- समय के साथ कदम रख के चलने वाला था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- जिसे मैं अपना समझता था राज़दाँ यारो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- उन्हीं को सौंप दिया आपने चमन यारो / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ज़िन्दगी में इक भयानक ख़्वाब देखा इन दिनों / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कर्ज़ की बातें लिखी थीं डायरी की दरमियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- इस लिए हम लोग घबराने लगे हैं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मन का सोया हुआ विश्वास जगाना होगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- वो चाँदनी है, धूप है या आफ़ताब है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- इन हवाओं का इल्मो-हुनर देखिए / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तू है बेचैन बहुत जिसको मनाने के लिए / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ये ज़िन्दगी भी किसी दर्द के हवन-सी है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तुम झोंपड़ी बनाओ यहाँ देख भालकर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- टिमटिमाता हुआ इक अश्क गिरा हो जैसे / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तुम ही बताओ क्या वो कोई हादसा न था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हर आदमी है यहाँ दर्द का स्कूल कोई / ज्ञान प्रकाश विवेक
- पानी-पानी चीख़ रहा था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हाथ में लेकर खड़ा है बर्फ़ की वो सिल्लियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हज़ारों वहशतों का घर है दंगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- रोज़ भरा है रोज़नामचा हत्यारों के बीच / ज्ञान प्रकाश विवेक
- धूप लिक्खूँ या कहकशाँ लिक्खूँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कुछ लोग थे कि रेत में जल ढूँढते रहे / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अजीब बात वो मेरे बदन का साया है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- वो इस तरह पानी में अगन ढूँढ रहा है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- लोग ऊँची ऊड़ान रखते हैं / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मुहब्बतों के खुले दर नज़र नहीं आते / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ये कारवाने वक़्त कसक छोड़ जाएगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अंगारों के तकिये रखकर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ये रहनुमाओं ने की हैं इनायतें कैसी / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ज़मीं पे रहने लगा है जो आसमाँ बन कर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ऐ ज़िन्दगी मुझे तू ज़रा आज़मा के देख / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दर्द के भोज में जब हमने सजाए आँसू / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तुम अपने घर में उजालों को लाज़िमी रखना / ज्ञान प्रकाश विवेक
- माँ जैसा वो चेहरा ले कर आता था / ज्ञान प्रकाश विवेक