|
|
पंक्ति 5: |
पंक्ति 5: |
| <br><br> | | <br><br> |
| {{KKLokGeetBhaashaSoochi}} | | {{KKLokGeetBhaashaSoochi}} |
− | '''बंगाल के लोकप्रिय "बाउल" लोकगीत '''
| |
− |
| |
− | 1. '''वेद छाड़ा फकिरे एइ धारा '''
| |
− |
| |
− | माने ना केताब-कोरान नबीर तरीक छाड़ा।
| |
− | मसरेक तरीक धरे ,चन्द्र-सूर्य पूजा करे,
| |
− | पंचरस साधन करे , चन्द्र भेदी यारा।।
| |
− | सरल चन्द्र, गरल चन्द्र, रोहिणी चन्द्र धारा
| |
− | रस-बीज मिल करे पार करछे तारा।।
| |
− | सब चूल माथाय जटा, काय सिद्दि भाँग घोंटा,
| |
− | कथा कय एलो मेलो, बुझा याय ना सेटा ।।
| |
− | तादेर भंगी देखे लोक तुले याय गानेर बड़ घटा।
| |
− | ए दीन रसिक बले बेतरीक से आउल-बाउल नेड़ा।
| |
− |
| |
− |
| |
− | 2. वेदे कि तार मर्म जाने'''
| |
− |
| |
− | वेदे कि तार मर्म जाने
| |
− | ये रूप साँइर लीला-खेला
| |
− | आछे एइ देह भुवने।।
| |
− | पंचतत्व वेदेर विचार
| |
− | पंडितेरा करने प्रचार,
| |
− | मानुष तत्व भजनेर सार
| |
− | वेद छाड़ा वै रागेर माने।।
| |
− | गोले हरि बलले कि हय,
| |
− | निगूढ़ तत्व निराला पाय,
| |
− | नीरे क्षीरे युगल हय
| |
− | साँइर बारमखाना सेइखाने।।
| |
− | पइले कि पाय पदार्थ
| |
− | आत्म तत्वे याराभ्रान्त
| |
− | लालन बले साधु मोहान्त
| |
− | सिद्ध हय आपनार चिने।
| |
− |
| |
− | 3.'''सब लोके कय लालन कि जात संसारे'''
| |
− |
| |
− | सब लोके कय लालन कि जात संसारे
| |
− | लालन कय, जेतेर कि रूप, देखलाम ना ए नजरे।।
| |
− | छुन्नत दिले हये मुसलमान,
| |
− | नारी लोकेर कि हय विधान?
| |
− | वामन यिनि पैतार प्रमाण
| |
− | वामनि चिनी कि धरे।।
| |
− | केओ माला, केओ तसबि गलाय,
| |
− | जाइते कि जात भिन्न बलाय
| |
− | जेतोर चिह्न रय कार रे।।
| |
− | गर्ते गेले कू पजल कय,
| |
− | गंगाय गेले गंगाजल हय,
| |
− | मूले एक जल, से ये भिन्न नय
| |
− | भिन्न जानाय पात्र- अनुसारे।
| |
− | जगत बेड़े जेतेर कथा
| |
− | लोके गौरव करे यथा तथा,
| |
− | लालन से जेतेर फाता
| |
− | बिकियेछे सात बजारे।।
| |
− |
| |
− | 4.'''एमन समाज कबे गो सृजन हबे'''
| |
− |
| |
− | एमन समाज कबे गो सृजन हबे
| |
− | ये दिन हिन्दु-मुसलमान बौद्ध-खृष्टान जाति-गोत्र नाहि रबे।
| |
− | शोनाय लोभेर बुलि
| |
− | नेबे ना केओ काँधेर झुलि,
| |
− | इतर आतरफ बलि
| |
− | दुरे ठेले ना देबे।।
| |
− | आमिर फकीर हये एक ठाँइ
| |
− | सबार पाओना पाबे सबाइ,
| |
− | आशरफ बलिया रेहाइ,
| |
− | भवे केओ येनाहि पाबे।।
| |
− | धर्म-कुल-गोत्र-जातिर,
| |
− | तुलबे ना गो जिगिर,
| |
− | केंदे बले लालन फकिर
| |
− | केबा देखाये देबे।
| |
− |
| |
− | 5.'''एमन मानव-जनम आर कि हबे?'''
| |
− |
| |
− | एमन मानव-जनम आर कि हबे?
| |
− | मन या कर त्वराय कर एइ भावे।
| |
− | अन्तर रूप सृष्टि करलने साँइ
| |
− | शुनि मानवेर तुलना किछुर नाइ
| |
− | देव-मानवगण करे अराधन जन्म निते मानवे
| |
− | कत् भाग्यरे फल ना जानि,
| |
− | मनेर पेयेछ एइ मानव तरणी,
| |
− | येन मरा ना डोबे।।
| |
− | एइ मानुषे हवे माधुर्य भजन,
| |
− | ताइते मानुष रूप एइ गठिल निरंजन
| |
− | एबार ठकिले आर ना देखि किनार,
| |
− | लालन कय कातर भावे।।
| |
− |
| |
− | '''बंगाल के लोकप्रिय लोकगीत भाटियाली'''
| |
− |
| |
− | 6.'''आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले'''
| |
− |
| |
− | आमार सरल प्राणे एत दुःख दिले।।
| |
− | सहे ना यौवन ज्वाला,
| |
− | प्रेम ना करे छिलाम भालो गो।
| |
− | दुइ नयने नदी नाला तुइ बन्धु बहाइले।।
| |
− | आगे तो ना जानि आमि,
| |
− | एत पाषाण हइबे तुमि गो।
| |
− | बइसे थाकताम एकाकिनी, कि इहते प्रेम ना करिले।।
| |
− | तुमि बन्धु ताके सुखे,
| |
− | मरब आमि देखुक लोके गो
| |
− | अभागिनीर मरणकाले आइस खबर पाइले।।
| |
− |
| |
− | 7.'''आरे ओ, ओरे सुजन नाइया-'''
| |
− |
| |
− | आरे ओ, ओरे सुजन नाइया-
| |
− | कोन वा देशे याओ रे तुमि, सोनार तरी बाइया।।
| |
− | कोन वा देशे बाड़ी तोमार, कोन वा देशे याओ।।
| |
− | एइ घाटे लगाइया नाओ, आमार लइया याओ।।
| |
− | सोनार तरी, रंगेर बादाम, दिवाछ उड़ाइया।
| |
− | पुबाली बातासे बादाम उड़े रइया रइया।।
| |
− | रंग देखिया एइ अभागी कान्दे घाटे बइया।
| |
− | सोतेर टाने कलसी आमार गेल रे भसिया।।
| |
− | आइस आइस सुजन नाइया, कलसी देओ धरिया।।
| |
− | कि धन लइया याइब घरे, शून्य आमार हिया।।
| |
− |
| |
− | 8.'''ओ कोकिला रे---'''
| |
− |
| |
− |
| |
− | ओ कोकिला रे---
| |
− |
| |
− | आमार निभानो आगुन ज्वले मोर स्वरे।।
| |
− |
| |
− | देखले तोर रूपेर किरण,
| |
− |
| |
− | मने पड़े बन्धुर वरण।
| |
− |
| |
− | आमार दुटो मनेर कथा शोन, कोकला रे।।
| |
− | पड़ले नयन काल रूपे
| |
− |
| |
− | पराण आमार उठे क्षेपे।
| |
− |
| |
− | आमार ए व्यथा कि बुझबे अपरे।।
| |
− |
| |
− | 9.'''कृष्ण हारा हइलाम गो'''
| |
− |
| |
− | कृष्ण हारा हइलाम गो,
| |
− |
| |
− | कृष्ण हारा हइया कान्दछि गो वने निशि दिने
| |
− |
| |
− | ओ गो, आमार मत दीन दुःखिनी,
| |
− |
| |
− | के आछे आर वृन्दावने।।
| |
− |
| |
− | सखी गो, यार ये ज्वाला सेइ जाने
| |
− |
| |
− | अन्य कि आर जाने
| |
− |
| |
− | आमार अरण्ये रोदन करा,
| |
− |
| |
− | कार काछे कइ, केवा शोने।।
| |
− |
| |
− | सखी गो, नयन दिलाम रूपे नेहारे
| |
− |
| |
− | प्राण दिलाम तार सने।
| |
− |
| |
− | ओ गो, देह दिलाम, अंगे वसन,
| |
− |
| |
− | मन दिलाम तार श्रीचरणे।।
| |
− |
| |
− | सखी गो, कृष्ण सून्य देह गो आमार,
| |
− |
| |
− | काज कि ए जीवने।
| |
− |
| |
− | अधीन कालाचाँद, कय,
| |
− |
| |
− | राइ मरिल श्याम बिहने।।
| |
− |
| |
− | 10. '''आमार मनेर मानुष, प्राण सइ गो'''
| |
− |
| |
− | आमार मनेर मानुष, प्राण सइ गो
| |
− |
| |
− | पाइगो कोथा गेले।
| |
− |
| |
− | आमि याबो सेइ देशे
| |
− |
| |
− | से देशे मानुष मिले।।
| |
− |
| |
− | यदि मनेर मानुष पेतेम तारे हद मझारे
| |
− |
| |
− | बसाइताम अति यतन कइरे।.।
| |
− |
| |
− | आमि मन-सुते माला गेंथे
| |
− |
| |
− | दिताम ताहार गले।।
| |
− |
| |
− | भेवे छिलाम मने मने, से याबे ना आमार छेड़े,
| |
− |
| |
− | आरे आपन बइले।
| |
− |
| |
− | से ये फाँकि दिये गेलो चले,
| |
− |
| |
− | ऐ कि छिल मोर कपाले।।
| |
− |
| |
− | इसी प्रकार यह गीत दैहिक अथवा काया संबंधित है---
| |
− |
| |
− | आरे मन माझि, तोर बैठा नेरे,
| |
− |
| |
− | आमि आर बाइते पारलाम ना।
| |
− |
| |
− | आमि जनम भइरा बाइलाम बैठा रे
| |
− |
| |
− | तरी भाइटाय रय, आर उजाय ना।।
| |
− |
| |
− | ओरे जंगी-रसी यतइ कसि,
| |
− |
| |
− | ओ रे हाइलेते जल माने ना।
| |
− |
| |
− | नायेर तली खसा गुरा भांगारे,
| |
− |
| |
− | नाव तो गाव-गयनि माने ना।।
| |
इस पन्ने पर विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों से लिये गये लोक गीत संकलित किये जाते हैं।