Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
}}
<poem>
'''राग जैतश्री'''
सिव-बिरञ्चि-मुनि-सिद्ध प्रसंसत, बड़े भूप के भाग |
तुलसिदास प्रभु सोहिलो गावत उमगि-उमगि अनुराग ||
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,328
edits