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चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.
 
चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.
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वक़्त के हाल पे हूँ जल्दी ही गुज़र जाऊँगा,
 
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मुझ से घबरा के,फना होने की बददुआयं न दे.
 
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गये वक़्त तो, वापस नही आते हैं कभी,
 
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उन्हें बुलाने के लिए, दर्द की सदायें न दे.
 
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ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको,
 
ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको,
 
   
 
   
 
चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न  दे.
 
चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न  दे.
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                             _Kush Sharma
 
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                         (www.sachmein.blogspot.com)
 
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17:53, 31 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

दर्द की बूँद हूँ,समंदर होने की दूआयें ना दे.

चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.


वक़्त के हाल पे हूँ जल्दी ही गुज़र जाऊँगा,

मुझ से घबरा के,फना होने की बददुआयं न दे.


गये वक़्त तो, वापस नही आते हैं कभी,

उन्हें बुलाने के लिए, दर्द की सदायें न दे.


ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको,

चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न दे.


                           _Kush Sharma
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