भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वह बोल रही थी / उदयन वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदयन वाजपेयी |संग्रह=कुछ वाक्य / उदयन वाजपेयी }} ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:53, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण
वह बोल रही थी
वह उसके वाक्यों से व्याकरण की
ग़लतियों को चुन-चुन कर
आकाश में एक ख़ास तरतीब से जमाता जा रहा था
चुपचाप
अब न जाने कब सूर्योदय होगा
अब न जाने कब नींद के अदृश्य रेशों से
वह बाहर झाँकेगी और पढ़ेगी
आकाश के विजन में उच्चारित
एक प्रेम-वाक्य !