भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुर्ख़ियों में / केशव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...)
 
 
पंक्ति 53: पंक्ति 53:
 
जितने ऑफिस कॉपी पर
 
जितने ऑफिस कॉपी पर
 
हस्ताक्षर।
 
हस्ताक्षर।
 
 
 
</poem>
 
</poem>

18:23, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

सुर्खियों में
हत्या
सुर्ख़ियों में
बलात्कार
सुर्ख़ियो में नहीं
किसी का अविश्वसनीय प्यार
सुर्ख़ियों में
दंगे
सुर्ख़ियों में
कर्फ्यू
सुर्ख़ियों में नहीं
हम कहाँ नंगे
सुर्खियों में
आतंक
सुर्खियों में
साधु-संत
सुर्ख़ियों में नहीं
बंजर
अचानक
खिल आया बसंत
सुर्खियों में हार
सुर्खियों में जीत
सुर्खियों में नहीं
दोनो के पीछे छिपी
आर-पार की लड़ाई
सुर्ख़ियों में
बारिश
सुर्ख़ियों में
बर्फ़बारी
सुर्ख़ियों में नहीं
मौसम की साजिश
सुर्खियों में
तापमान
देश का विदेश का
सुर्ख़ियों में नहीं
ताप
भूख की आग का

छप जाते कभी-कभी
सुर्ख़ियों की जगह
कुछ ऐसे भी समाचार
जब और नहीं बचता
कुछ छपने के लिए
पर उतने ही
जितने ऑफिस कॉपी पर
हस्ताक्षर।