भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"स्कूल / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन राणा |संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदीं / मोहन राणा }} पहल...)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=मोहन राणा
 
|रचनाकार=मोहन राणा
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदीं / मोहन राणा
+
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
 
}}
 
}}
  

22:38, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण

पहले मुझे क़िताब की जिल्द मिली

फिर एक कॉपी

बस्ते में और कुछ नहीं बचा इतने बरस बाद

घंटी सुनते ही जाग पड़ा

मैदान में कोई नहीं था दसवीं बी में भी कोई नहीं

क्या आज स्कूल की छुट्टी है सोचा मैंने

हवाई जहाज मध्य यूरोप में कहीं था और मैं

कई बरस पहले अपने स्कूल


धरती ने ली सांस

हँसा समुंदर

आकाश खोज में है अनंतता की


बहुत पहले मैंने उकेरा अपना नाम मेज पर

समय की त्वचा के नीचे धूमिल

कोई तारीख़


कोई दोपहर उड़ा लाती हवा के साथ

किसी बात की जड़

मैं वह दीवार हूँ

जिसकी दरार में उगा है वह पीपल


5.9.2006