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"आगमन वसन्त का / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर
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धूप खिली थी | धूप खिली थी | ||
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और रिमझिम वर्षा | और रिमझिम वर्षा | ||
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छत पर ढोलक-सी बज रही थी लगातार | छत पर ढोलक-सी बज रही थी लगातार | ||
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सूर्य ने फैला रखी थीं बाहें अपनी | सूर्य ने फैला रखी थीं बाहें अपनी | ||
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वह जीवन को आलिंगन में भर | वह जीवन को आलिंगन में भर | ||
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कर रहा था प्यार | कर रहा था प्यार | ||
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नव-अरुण की | नव-अरुण की | ||
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ऊष्मा से | ऊष्मा से | ||
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हिम सब पिघल गया था | हिम सब पिघल गया था | ||
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जमा हुआ | जमा हुआ | ||
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जीवन सारा तब | जीवन सारा तब | ||
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जल में बदल गया था | जल में बदल गया था | ||
वसन्त कहार बन | वसन्त कहार बन | ||
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बहंगी लेकर | बहंगी लेकर | ||
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हिलता-डुलता आया ऎसे | हिलता-डुलता आया ऎसे | ||
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दो बाल्टियों में | दो बाल्टियों में | ||
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भर लाया हो | भर लाया हो | ||
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दो कम्पित सूरज जैसे | दो कम्पित सूरज जैसे | ||
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01:36, 17 फ़रवरी 2009 का अवतरण
धूप खिली थी
और रिमझिम वर्षा
छत पर ढोलक-सी बज रही थी लगातार
सूर्य ने फैला रखी थीं बाहें अपनी
वह जीवन को आलिंगन में भर
कर रहा था प्यार
नव-अरुण की
ऊष्मा से
हिम सब पिघल गया था
जमा हुआ
जीवन सारा तब
जल में बदल गया था
वसन्त कहार बन
बहंगी लेकर
हिलता-डुलता आया ऎसे
दो बाल्टियों में
भर लाया हो
दो कम्पित सूरज जैसे