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बेयरा / सुदर्शन वशिष्ठ

No change in size, 04:16, 18 फ़रवरी 2009
जानता है बेयरा
रोज -रोज कौन चुकाता है बिल
कौन देता है कितना टिप
कौन पहले इन्कार कर
आश्चर्यजनक है उस का चोला उतारना
अवतार से भी ज्यादा
वर्दियां आदमी को आदमी नगीं नहीं रहने देतीं।
</poem>
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