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"तितली उंगलियों वाले बच्चे-एक / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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तितलियों के पँख़-पँख  
 
तितलियों के पँख़-पँख  
 
अनेक पँख
 
अनेक पँख
 
'''दो'''
 
देस के उत्तर में,
 
उत्तर के पूरब में
 
मिर्ज़ापुर ज़िले के
 
अनेक छोटे गाँवों मे
 
हर सुबह
 
दो लाख नन्हें अब्दुल
 
सूरज के साथ-साथ उठ जाते हैं।
 
और
 
गूँजता रहता है दिन भर
 
दोपहर
 
की धूप में
 
उन हथकरघों पर
 
राग देस
 
देस राग
 
 
इसी तरह
 
सूरज के साथ-साथ
 
साँझ ढलते ही
 
अंधी दीवारों के
 
अंधियारे कोनों में
 
छिप जाते हैं
 
दो लाख कबिरे सूरज
 
सात बजे से सात बजे तक
 
कुल्लू उस्ताद
 
जो ख़ुद कालीन बुनता था
 
बच्चों पर निगरानी रखता है
 
आँख में घिरते अँधेपन से बेबस
 
जब कभी
 
नन्हा अब्दुल
 
काग़ज़ पर बना डिज़ाईन
 
कालीन पर उतारते हुए
 
ग़लत गाँठ बुनता है
 
काना कल्लू
 
उसे बाँस की छड़ी से धुनता है
 
 
बारह घण्टॉं की
 
इस उनींदी यात्रा में
 
अब्दुल रोटी खा सकता है
 
कालीन की राजकुमारी का
 
गीत गा सकता है
 
लघुशंका जा सकता है
 
पीठ भी खुजला सकता है।
 
 
कल सुबह कालीनों की नई खेप
 
विदेश जाएगी
 
इसलिये, आज शाम ढले भी
 
नन्हा अब्दुल
 
हर तैयार कालीन पर
 
एक-एक पर्चा टाँक रहा है
 
जिस पर साफ सुन्दर अक्षरों में छपा है :
 
केवल बालिगों के श्रम से निर्मित ।
 
 
आधे-अंधेरे
 
आधे उजाले में
 
एक नन्हा बच्चा
 
अपनी तितली उंगलियों से
 
हथकरघे पर
 
कालीन बुन रहा था।
 
एक दिन
 
एक आदमी
 
मिर्ज़ापुर ज़िले के
 
उस गाँव गया
 
जहाँ नन्हा दिलीप
 
अनेक अधनंगे बच्चों संग
 
एक विशाल कालीन को
 
किसी जाल की मानिंद
 
बुन रहा था
 
 
उस आदमी ने बच्चे से पूछा_
 
क्या तुम जानते हो
 
मित्र देश की महारानी ने
 
तुम्हारा वाला कालीन
 
तैईस लाख़ में ख़रीद लिया है ?
 
बच्चे ने पलकें झपकाईं
 
और भोलेपन से पूछा__
 
तैईस लाख कितने होते हैं बाबू जी ?
 
 
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11:19, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण

तीन सियाले पहले
उस औरत ने
बित्ता भर छत
और मुट्ठी भर भात के लिए
तितली के दस पँख
गिरवी रखे थे
ये पँख
उसके सात वर्षीय बेटे के
नन्हें हाथों की उंगलियाँ थीं

दस उंगलियाँ
जाने कब से
पचास साल पुरानी खड्डी पर
नायाब कालीन बुन रही है

हर रात एक शरारती बच्चा
कुल्लू उस्ताद की कानी आँख से
बचकर
उड़ निकलता है
पहुँचता
अपने गाँव
भागता
डगर-डगर
मेढ़-मेढ़
ठगा-सा
हैरान-सा
मुँह बाए
देखता
गुम्बदनुमा सतरंगा धनक
धनक तले एक महल
महल का लोह-द्वार
लोहद्वार में चिने
तितलियों के पँख़-पँख
अनेक पँख