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"सफेद चाक हूं मैं / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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14:51, 20 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण


समय की
अंधेरी
उदास सड़कों पर
जीवन की
उष्‍ण, गर्म हथेली से
घिसा जाता
सफेद चाक हूं मैं

कि
क्‍या
कभी मिटूंगा मैं

बस
अपना
नहीं रह जाउंगा

और तब

मैं नहीं

जीवन बजेगा
कुछ देर

खाली हथेली सा
डग - डग - डग ...