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"स्पर्श / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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19:34, 11 मार्च 2009 का अवतरण

कुरान हाथों में लेके नाबीना एक नमाज़ी

लबों पे रखता था
दोनों आँखों से चूमता था
झुकाके पेशानी यूँ अक़ीदत से छू रहा था
जो आयतं पढ़ नहीं सका
उन के लम्स महसूस कर रहा हो


मैं हैराँ-हैराँ गुज़र गया था
मैं हैराँ हैराँ ठहर गया हूँ


तुम्हारे हाथों को चूम कर
छू के अपनी आँखों से आज मैं ने
जो आयतें पड़ नहीं सका
उन के लम्स महसूस कर लिये हैं