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"मेरे सपनों का किरदार / विज्ञान व्रत" के अवतरणों में अंतर

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18:44, 12 मार्च 2009 के समय का अवतरण

मेरे सपनों का किरदार
काश कि मिल जाए इक बार

तू भी जीत न पाएगा
और न होगी उसकी हार

घर का मालिक कोई और
हम, तुम सिर्फ़ किरायेदार

अपनी खोज-ख़बर भी ले
पढ़ता रहता है अख़बार

तुझ पर सबकी नज़रें हैं
जाकर अपनी नज़र उतार!