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"रोज़नामचा / कैलाश वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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गोली से मारा है
 
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उसकी सिर्फ़ एक ही ग़लती थी
 
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वह ग़्रीब
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कातर तार-तार था
 
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10:18, 15 मार्च 2009 के समय का अवतरण

हड्डियाँ
उसकी भी तो उसी रंग की थीं
जैसी सभी की होती हैं
खून भी उसी रंग का
जिस रंग का सबका
होता है
तुमने अभी जिसे
गोली से मारा है
उसकी सिर्फ़ एक ही ग़लती थी
वह ग़रीब

कातर तार-तार था

          सामूहिक से अलग
          झुका हुआ अपनी
          निजी प्रार्थना में
          पुलिस की शिनाख़्त से लगता है
          उसका नाम
          शायद फ़रीद था