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00:07, 18 मार्च 2009 का अवतरण
सप्ताह की कविता
शीर्षक: फुटपाथ बिछौने हैं
रचनाकार: ब्रजमोहन
अपने नीचे सड़कों के फुटपाथ बिछौने हैं कोई खिलौना मांग न बेटे! हम ही खिलौने हैं कच्चे-पक्के, टूटे-फूटे मन-सा घर का सपना सपनों की दुनिया में ही तो जीता है सुख अपना उजड़े हुए चमन में ही तो सपने बोने हैं दुख के झूले पर जीवन की लम्बी पींग बढ़ाना पत्ता-पत्ता नींद से जागे ऎसे पेड़ हिलाना हार न जाना, छाँव-फूल-फल अपने होने हैं