"जिस तरह मैं भटका / रंजीत वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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एक पूरा दिन भी | एक पूरा दिन भी | ||
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जब तुम्हे खुद अपना दिल | जब तुम्हे खुद अपना दिल | ||
संभालना मुश्किल हो रहा था | संभालना मुश्किल हो रहा था | ||
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तुम्हारे सांवले रंग में | तुम्हारे सांवले रंग में | ||
गहराती शाम का झुटपुटा होता था हमेशा | गहराती शाम का झुटपुटा होता था हमेशा | ||
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मैं एक पेड़ की तरह होता था जहां | मैं एक पेड़ की तरह होता था जहां | ||
अंधेरे में खोता हुआ | अंधेरे में खोता हुआ | ||
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एक ऐसे समय में | एक ऐसे समय में | ||
ज्ब आगे बढ़ने के करतब | ज्ब आगे बढ़ने के करतब |
22:54, 21 मार्च 2009 का अवतरण
एक ऐसे समय में
मैंने तुम्हारा साथ दिया
जब समय
मेरा साथ नहीं दे रहा था
वे हो सकते हैं
उत्तेजक और अमीर
लेकिन जिस तरह मैं भटका
मिलने को तुमसे पूरी उम्र
भटक कर दिखाएं वे
एक पूरा दिन भी
एक ऐसे समय में
जब प्रेम करना
मूर्खता माना जा रहा था
और अदालतें खिलाफ में
फैसले सुना रही थीं
प्रेमिकाएं
अपने वादों से मुकर रही थीं
और प्रेमी पंखे से झूल रहे थे
मैंने प्रेम किया तुमसे
तमाम खतरों के भीतर से गुजरते हुए
मैंने तुम्हे दिल दिया
जब तुम्हे खुद अपना दिल
संभालना मुश्किल हो रहा था
तुम्हारे सांवले रंग में
गहराती शाम का झुटपुटा होता था हमेशा
एक रहस्य गढ़ता हुआ
मैं एक पेड़ की तरह होता था जहां
अंधेरे में खोता हुआ
एक ऐसे समय में
ज्ब आगे बढ़ने के करतब
कौशल माने जा रहे थे
बादलों की तरह भटकता रहा मैं
मिलने को तुमसे पूरी उम्र
भटककर दिखाएं वे मेरी तरह
एक पूरा दिन भी।