भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सबसे अलग / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग }} <Poem> जो अलग था सबसे उससे सब को तकलीफ़ थ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:08, 3 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

जो अलग था सबसे
उससे सब को तकलीफ़ थी

सबको परेशानी यही थी
वह उनके जैसा क्यों नहीं

एक डर भी था
कहीं उसके जैसे न हो जाएँ सब

जो अलग था सबसे
वह बेफिक्र था अपने होने से
उसे कोई परेशानी नहीं थी सबसे

उसे जब सबकी चिंता का पता लगा
उसने सबकी तरह
चिंता करना शुरू कर दिया

सबको
तब और डर लगा
जब उसने कहा
मेरी चिंताएँ सबसे अलग हैं ।