भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिट्टी पत्री ख़तो / नईम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नईम }} <poem> चिट्टी पत्री ख़तो किताबत के मौसम फिर क...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:50, 13 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
चिट्टी पत्री ख़तो किताबत के मौसम
फिर कब आएंगे?
रब्बा जाने,
सही इबादत के मौसम
फिर कब आएंगे?
चेहरे झुलस गये क़ौमों के लू लपटों में
गंध चिरायंध की आती छपती रपटों में
युद्धक्षेत्र से क्या कम है यह मुल्क हमारा
इससे बदतर
किसी कयामत के मौसम
फिर कब आएंगे?
हवालात सी रातें दिन कारागारों से
रक्षक घिरे हुए चोरों से बटमारों से
बंद पड़ी इजलास
ज़मानत के मौसम
फिर कब आएंगे?
ब्याह सगाई बिछोह मिलन के अवसर चूके
फसलें चरे जा रहे पशु हम मात्र बिजूके
लगा अंगूठा कटवा बैठे नाम खेत से
जीने से भी बड़ी
शहादत के मौसम
फिर कब आएंगे?