"ओ मेरे महाप्रभुओ / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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ओ मेरे महाप्रभुओ! | ओ मेरे महाप्रभुओ! | ||
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बहुत हो चुकी लीला, | बहुत हो चुकी लीला, | ||
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अब तो अपना जाल समेटो। | अब तो अपना जाल समेटो। | ||
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बीच आँगन में | बीच आँगन में | ||
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काँटेदार तारों की बाड़ लगवा दी तुमने, | काँटेदार तारों की बाड़ लगवा दी तुमने, | ||
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मेरे जौ-मटर के खेत रौंदकर | मेरे जौ-मटर के खेत रौंदकर | ||
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बंदूकों के पेड़ उगवा दिए तुमने, | बंदूकों के पेड़ उगवा दिए तुमने, | ||
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मेरे पिता के अस्थिकलष को | मेरे पिता के अस्थिकलष को | ||
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गीदड़ों के हवाले कर दिया, | गीदड़ों के हवाले कर दिया, | ||
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मेरी माँ के शव को | मेरी माँ के शव को | ||
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भेडियों से नुचवा दिया, | भेडियों से नुचवा दिया, | ||
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फाँसी पर लटका चुके हो | फाँसी पर लटका चुके हो | ||
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चुन-चुन कर मेरे एक-एक साथी को, मेरी पत्नी समेत, | चुन-चुन कर मेरे एक-एक साथी को, मेरी पत्नी समेत, | ||
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गुडि़या में बारूद भरकर | गुडि़या में बारूद भरकर | ||
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परखचे उड़ा दिए तुमने मेरी बेटी के ; | परखचे उड़ा दिए तुमने मेरी बेटी के ; | ||
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और | और | ||
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वह बालक जिसका खून | वह बालक जिसका खून | ||
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अभी तक चीख रहा है तुम्हारे | अभी तक चीख रहा है तुम्हारे | ||
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पैरों के समीप वाली बलिवेदी पर, | पैरों के समीप वाली बलिवेदी पर, | ||
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वह मेरा इकलौता बेटा था. | वह मेरा इकलौता बेटा था. | ||
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अब कोई नहीं बचा | अब कोई नहीं बचा | ||
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सिवा मेरे! | सिवा मेरे! | ||
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और मैं बलि देने नहीं | और मैं बलि देने नहीं | ||
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बलि लेने आया हूँ । | बलि लेने आया हूँ । | ||
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लो, तोड़ दिए मैंने | लो, तोड़ दिए मैंने | ||
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सब वर्ग तुम्हारे बनाए हुए, | सब वर्ग तुम्हारे बनाए हुए, | ||
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लो, तिलांजलि देता हूँ | लो, तिलांजलि देता हूँ | ||
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संप्रदायों को तुम्हारे रचे हुए. | संप्रदायों को तुम्हारे रचे हुए. | ||
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यह लो, उतारता हूँ यज्ञोपवीत. | यह लो, उतारता हूँ यज्ञोपवीत. | ||
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यह कड़ा और कंघी भी फेंकता हूँ. | यह कड़ा और कंघी भी फेंकता हूँ. | ||
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छोड़ता हूँ पाँचों वक़्त की नमाज़. | छोड़ता हूँ पाँचों वक़्त की नमाज़. | ||
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क्रॉस को झोंकता हूँ चूल्हे में. | क्रॉस को झोंकता हूँ चूल्हे में. | ||
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मिटा रहा हूँ ब्राह्मण भंगी का भेद. | मिटा रहा हूँ ब्राह्मण भंगी का भेद. | ||
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खंडित करता हूँ रोटी - बेटी के प्रतिबंध! | खंडित करता हूँ रोटी - बेटी के प्रतिबंध! | ||
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लो, उतरता हूँ अखाड़े में | लो, उतरता हूँ अखाड़े में | ||
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निहत्था | निहत्था | ||
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तुम्हारे साथ जूझने को | तुम्हारे साथ जूझने को | ||
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निर्णायक द्वंद्वयुद्ध में। | निर्णायक द्वंद्वयुद्ध में। | ||
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सुनो महाप्रभुओ ! | सुनो महाप्रभुओ ! | ||
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मुझे नहीं अब तुम्हारी ज़रूरत, | मुझे नहीं अब तुम्हारी ज़रूरत, | ||
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मैं हूँ स्वयं संप्रभु | मैं हूँ स्वयं संप्रभु | ||
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और खड़ा हूँ | और खड़ा हूँ | ||
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तुम्हारी समस्त आज्ञाओं के विरुद्ध | तुम्हारी समस्त आज्ञाओं के विरुद्ध | ||
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यह घोषणापत्र लेकर कि | यह घोषणापत्र लेकर कि | ||
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''सभी महाप्रभु खाली कर दें मेरी धरती | ''सभी महाप्रभु खाली कर दें मेरी धरती | ||
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मुझे उगाना है एक जातिहीन मनुष्य | मुझे उगाना है एक जातिहीन मनुष्य | ||
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धर्मों से परे ! '' | धर्मों से परे ! '' | ||
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03:44, 22 अप्रैल 2009 का अवतरण
ओ मेरे महाप्रभुओ!
बहुत हो चुकी लीला,
अब तो अपना जाल समेटो।
बीच आँगन में
काँटेदार तारों की बाड़ लगवा दी तुमने,
मेरे जौ-मटर के खेत रौंदकर
बंदूकों के पेड़ उगवा दिए तुमने,
मेरे पिता के अस्थिकलष को
गीदड़ों के हवाले कर दिया,
मेरी माँ के शव को
भेडियों से नुचवा दिया,
फाँसी पर लटका चुके हो
चुन-चुन कर मेरे एक-एक साथी को, मेरी पत्नी समेत,
गुडि़या में बारूद भरकर
परखचे उड़ा दिए तुमने मेरी बेटी के ;
और
वह बालक जिसका खून
अभी तक चीख रहा है तुम्हारे
पैरों के समीप वाली बलिवेदी पर,
वह मेरा इकलौता बेटा था.
अब कोई नहीं बचा
सिवा मेरे!
और मैं बलि देने नहीं
बलि लेने आया हूँ ।
लो, तोड़ दिए मैंने
सब वर्ग तुम्हारे बनाए हुए,
लो, तिलांजलि देता हूँ
संप्रदायों को तुम्हारे रचे हुए.
यह लो, उतारता हूँ यज्ञोपवीत.
यह कड़ा और कंघी भी फेंकता हूँ.
छोड़ता हूँ पाँचों वक़्त की नमाज़.
क्रॉस को झोंकता हूँ चूल्हे में.
मिटा रहा हूँ ब्राह्मण भंगी का भेद.
खंडित करता हूँ रोटी - बेटी के प्रतिबंध!
और
लो, उतरता हूँ अखाड़े में
निहत्था
तुम्हारे साथ जूझने को
निर्णायक द्वंद्वयुद्ध में।
सुनो महाप्रभुओ !
मुझे नहीं अब तुम्हारी ज़रूरत,
मैं हूँ स्वयं संप्रभु
और खड़ा हूँ
तुम्हारी समस्त आज्ञाओं के विरुद्ध
यह घोषणापत्र लेकर कि
सभी महाप्रभु खाली कर दें मेरी धरती
मुझे उगाना है एक जातिहीन मनुष्य
धर्मों से परे !