भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बरसों के बाद कभी / गिरिजाकुमार माथुर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
कवि: [[गिरिजाकुमार माथुर]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गिरिजाकुमार माथुर]]
+
|रचनाकार=गिरिजाकुमार माथुर
 
+
|संग्रह=
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
}}
 
+
 
बरसों के बाद कभी<br>
 
बरसों के बाद कभी<br>
 
हम तुम यदि मिलें कहीं,<br>
 
हम तुम यदि मिलें कहीं,<br>

13:57, 8 मई 2009 के समय का अवतरण

बरसों के बाद कभी
हम तुम यदि मिलें कहीं,
देखें कुछ परिचित से,
लेकिन पहिचानें ना।

याद भी न आये नाम,
रूप, रंग, काम, धाम,
सोचें,यह सम्भव है -
पर, मन में मानें ना।

हो न याद, एक बार
आया तूफान, ज्वार
बंद, मिटे पृष्ठों को -
पढ़ने की ठाने ना।

बातें जो साथ हुई,
बातों के साथ गयीं,
आँखें जो मिली रहीं -
उनको भी जानें ना।