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"अंह का शेषनाग / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
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13:58, 10 मई 2009 के समय का अवतरण
हज़ार फन फैलाए
बैठा है मारकर गुंजलक
अंह का शेषनाग
लेटा है मोह का नारायण
वो देखो नाभि
वो देखो संशय का शतदल
वो देखो स्वार्थ का चतुरानन
चाँप रही चरण-कमल लालसा-लक्ष्मी
लहराता है सात समुद्रों का एक समुद्र
दूधिया झाग...
दूधिया झाग...
(1967 में रचित)