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"लिफाफा / पंकज सुबीर" के अवतरणों में अंतर

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छो (/ पंकज सुबीर का नाम बदलकर लिफाका / पंकज सुबीर कर दिया गया है)
छो (लिफाका / पंकज सुबीर का नाम बदलकर लिफाफा / पंकज सुबीर कर दिया गया है)
 
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23:57, 19 मई 2009 के समय का अवतरण

तुमने कहा था
मेरे सारे पत्रों को जला देना
मैंने वैसा ही किया
प्रश्नी उस विश्वास का था
जिसके चलते वो पत्र लिखे गये थे
विश्वास करो
मैंने सारे पत्र जला दिये
केवल एक लिफाफा बचा लिया है
तुम्हारे पहले पत्र का लिफाफा
इस पर लिखा है मेरा नाम
जो शायद तुमने पहली बार लिखा था
शायद एक दो बार तुम्हारी
उंगालियां लरजीं भी थीं
इसीलिये मेरे नाम के एक दो अक्षर
कुछ टेढ़े मेढ़े हैं
समय ने इस लिफाफे में
काग़ज़ी सौंधी गंध भर दी है
यह लिफाफा जो तुम्हें मेरे जीवन में लाया था
इसे बचाकर
मैँने तुम्हारे विश्वास को तोड़ा नहीं है
तुमने तो पत्र को जलाने को कहा था
यह तो लिफाफा है
इसे बचाकर शायद मैंने बचाया है
जीवन में तुम्हारे पुन:
लौट आने की संभावनाओं को