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"एक मंज़र / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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कच्चा-सा इक मकां, कहीं आबादियों से दूर
 
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छोटा-सा इक हुजरा, फ़राज़े-मकान पर
 
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दीवारे-चोब पर कोई मौसम की सब्ज़ बेल
 
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कमरे में लालटेन की हल्की-सी रौशनी
 
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खिड़की को चूमता हुआ बारिश का जलतरंग
 
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सांसों में गूंजता हुआ इक अनकही का भेद !
 
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चश्म: ए शरीर= शरारती झरना
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18:45, 25 मई 2009 का अवतरण

कच्चा-सा इक मकां, कहीं आबादियों से दूर

छोटा-सा इक हुजरा, फ़राज़े-मकान पर

सब्ज़े से झांकती हुई खपरैल वाली छत

दीवारे-चोब पर कोई मौसम की सब्ज़ बेल

उतरी हुई पहाड़ पर बरसात की वह रात

कमरे में लालटेन की हल्की-सी रौशनी

वादी में घूमता हुआ इक चश्मे-शरीर<ref>शरारती झरना</ref>

खिड़की को चूमता हुआ बारिश का जलतरंग

सांसों में गूंजता हुआ इक अनकही का भेद !

शब्दार्थ
<references/>