भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुमने कहा था-3 / प्रेमचन्द गांधी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमचन्द गांधी |संग्रह= }} <Poem> पहला चुम्बन और पहल...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
पहला चुम्बन और पहला आलिंगन | पहला चुम्बन और पहला आलिंगन | ||
कभी नहीं भूलता कोई | कभी नहीं भूलता कोई | ||
− | भूलने के लिए और भी बहुत-सी | + | भूलने के लिए और भी बहुत-सी चीजें हैं |
मसलन बहुत सारे सुख जो हमने साथ-साथ भोगे | मसलन बहुत सारे सुख जो हमने साथ-साथ भोगे |
21:26, 31 मई 2009 के समय का अवतरण
पहला चुम्बन और पहला आलिंगन
कभी नहीं भूलता कोई
भूलने के लिए और भी बहुत-सी चीजें हैं
मसलन बहुत सारे सुख जो हमने साथ-साथ भोगे
उन दुखों को नहीं भूलना प्रिय
जो हमने साथ-साथ काटे