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"माँ / सलेम जुबरान" के अवतरणों में अंतर

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19:46, 23 जून 2009 का अवतरण

मेरी माँ को धिक्कारो

जिसने एक विदेशी को

अपनी छाती से लगाया

दूध पिलाया

जबकि मैं भूखा हूँ


घृणित है वह

जिसने मेरे बिस्तर पर

एक विदेशी को सुलाया

जबकि मैं उनींदा हूँ


लानत भेजो उस पर

जिसने अपने दिल में

एक विदेशी को बसाया

मुझे निकाल बाहर किया

एक वात्सल्यहीन भगोड़ा बनाया


मेरी माँ को कोसो

निन्दा करो उसकी

सब महिलाओं को धिक्कारो !