भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शब्द / कर्म / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरिधर राठी |संग्रह= निमित्त / गिरिधर राठी }} वक़्त आया ...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (शब्द/कर्म / गिरिधर राठी का नाम बदलकर शब्द/कर्म / गिरधर राठी कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:33, 24 जून 2009 का अवतरण
वक़्त आया तो हम ने भी किए सीधे सवाल :
किस ने दिया तुम्हें हक़?
किस ने?
किस ने? !!!
हम ने किए सीधे सवाल दर सवाल दर सवाल
...
शब्द थे
हैं
होंगे हमारे सवाल
भरे-पूरे, कटख़ने तीते
तर्क के, रोष के, इंसानी हुमस के
शब्द
लेकिन निरे शब्द
तने कसे रुंधे मुक्त शब्द
शब्दहीन हो कर भी
शब्द
निपट शब्द...