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"एक कविता / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर
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02:36, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
नहीं, यह विज्ञापन नहीं
न निविदा सूचना
न आत्म-विज्ञप्ति
यह महज़ एक कविता है
नाचार
आदमी की ही तरह मांगती
सहारा सपाट चट्टान पर
जहाँ से अतल में गिरने से पहले वह
टिका सके दो अंगुली, पैर का अंगूठा
लमहा भर इसे भी चाहिए विश्राम
अतल में समाने से पहले...