भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक कविता / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (एक कविता / गिरिधर राठी का नाम बदलकर एक कविता / गिरधर राठी कर दिया गया है)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:36, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

नहीं, यह विज्ञापन नहीं

न निविदा सूचना

न आत्म-विज्ञप्ति

यह महज़ एक कविता है

नाचार

आदमी की ही तरह मांगती

सहारा सपाट चट्टान पर

जहाँ से अतल में गिरने से पहले वह

टिका सके दो अंगुली, पैर का अंगूठा


लमहा भर इसे भी चाहिए विश्राम

अतल में समाने से पहले...