भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राम-नाम-रस पीजै / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | रचनाकार | + | {{KKRachna |
− | + | |रचनाकार=मीराबाई | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
राम-नाम-रस पीजै। | राम-नाम-रस पीजै। |
22:26, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
राम-नाम-रस पीजै।
मनवा! राम-नाम-रस पीजै।
तजि कुसंग सतसंग बैठि नित, हरि-चर्चा सुणि लीजै।
काम क्रोध मद मोह लोभ कूं, चित से बाहय दीजै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, ता के रंग में भीजै।