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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई <br>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''सुबह-सवेरे आती चिड़िया <br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[गोरख पाण्डेय]]  
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[श्याम सुन्दर अग्रवाल]]  
 
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समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई
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सुबह-सवेरे आती चिड़िया,
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आकर मुझे जगाती चिड़िया ।
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ऊपर बैठ मुंडेर पर,
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चीं-चीं, चूँ-चूँ गाती चिड़िया ।
  
समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई
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जाना है, नहीं स्कूल उसे
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न ही दफ़्तर जाती चिड़िया ।
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फिर भी सदा समय से आती,
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आलस नहीं दिखाती चिड़िया ।
  
हाथी से आई
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थोड़ा सा चुग्गा लेकर भी,
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दिन भर पंख फैलाती चिड़िया ।
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इससे सेहत ठीक है रखती ,
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नहीं दवाई खाती चिड़िया ।
  
घोड़ा से आई
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छोटी-सी है फिर भी बच्चो,
 
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बातें कई सिखाती चिड़िया ।
अँगरेजी बाजा बजाई, समाजवाद...
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रखो सदा ध्यान समय का,
 
+
सबको पाठ पढ़ाती चिड़िया
नोटवा से आई
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बोटवा से आई
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बिड़ला के घर में समाई, समाजवाद...
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गाँधी से आई
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आँधी से आई
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टुटही मड़इयो उड़ाई, समाजवाद...
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काँगरेस से आई
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जनता से आई
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झंडा से बदली हो आई, समाजवाद...
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डालर से आई
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रूबल से आई
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देसवा के बान्हे धराई, समाजवाद...
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वादा से आई
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लबादा से आई
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जनता के कुरसी बनाई, समाजवाद...
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लाठी से आई
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गोली से आई
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लेकिन अंहिसा कहाई, समाजवाद...
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महंगी ले आई
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गरीबी ले आई
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केतनो मजूरा कमाई, समाजवाद...
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छोटका का छोटहन
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बड़का का बड़हन
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बखरा बराबर लगाई, समाजवाद...
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परसों ले आई
+
 
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बरसों ले आई
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हरदम अकासे तकाई, समाजवाद...
+
 
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धीरे-धीरे आई
+
 
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चुपे-चुपे आई
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अँखियन पर परदा लगाई
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समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई ।
+
 
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'''(रचनाकाल :1978)
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00:10, 11 जुलाई 2009 का अवतरण

 सप्ताह की कविता

  शीर्षक: सुबह-सवेरे आती चिड़िया
  रचनाकार: श्याम सुन्दर अग्रवाल

सुबह-सवेरे आती चिड़िया,
आकर मुझे जगाती चिड़िया ।
ऊपर बैठ मुंडेर पर,
चीं-चीं, चूँ-चूँ गाती चिड़िया ।

जाना है, नहीं स्कूल उसे 
न ही दफ़्तर जाती चिड़िया ।
फिर भी सदा समय से आती,
आलस नहीं दिखाती चिड़िया ।

थोड़ा सा चुग्गा लेकर भी,
दिन भर पंख फैलाती चिड़िया ।
इससे सेहत ठीक है रखती ,
नहीं दवाई खाती चिड़िया ।

छोटी-सी है फिर भी बच्चो,
बातें कई सिखाती चिड़िया ।
रखो सदा ध्यान समय का,
सबको पाठ पढ़ाती चिड़िया