भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कृतज्ञ हूँ मैं / प्रियंकर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रियंकर |संग्रह= }} <Poem> कृतज्ञ हूँ मैं जैसे आसमान ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:07, 24 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
कृतज्ञ हूँ मैं
जैसे आसमान की कृतज्ञ है पृथ्वी
जैसे पृथ्वी का कृतज्ञ है किसान
कृतज्ञ हूँ मैं
जैसे सागर का कृतज्ञ है बादल
जैसे नए जीवन के लिए
बादल का आभारी है नन्हा बिरवा
कृतज्ञ हूँ मैं
जिस तरह कृतज्ञ होता है अपने में डूबा ध्रुपदिया
सात सुरों के प्रति
जैसे सात सुर कृतज्ञ हैं
सात हज़ार वर्षों की काल-यात्रा के
कृतज्ञ हूँ मैं
जैसे सभ्यताएँ कृतज्ञ हैं नदी के प्रति
जैसे मनुष्य कृतज्ञ है अपनी उस रचना के प्रति
जिसे उसने ईश्वर नाम दिया है