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चन्द जुमले मेरे फ़साने के॥ | चन्द जुमले मेरे फ़साने के॥ | ||
हो सके कब हरीफ़े-आज़ादी। | हो सके कब हरीफ़े-आज़ादी। | ||
दरो-दीवार क़ैदखा़ने के॥ | दरो-दीवार क़ैदखा़ने के॥ | ||
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मुबारक ज़िंदगी के वास्ते दुनिया को मर मिटना। | मुबारक ज़िंदगी के वास्ते दुनिया को मर मिटना। | ||
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16:49, 26 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
रंग बदला किये ज़माने के।
चन्द जुमले मेरे फ़साने के॥
हो सके कब हरीफ़े-आज़ादी।
दरो-दीवार क़ैदखा़ने के॥
झलक यूँ यास में उम्मीद की मालूम होती है।
कि जैसे दूर से इक रोशनी मालूम होती है॥
मुबारक ज़िंदगी के वास्ते दुनिया को मर मिटना।
हमें तो मौत में भी ज़िंदगी मालूम होती है॥