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"समय को साधना है / नईम" के अवतरणों में अंतर

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हो रहे आघात निर्मम
 
हो रहे आघात निर्मम
  
छातियो चिपकाए
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छातियों चिपकाए
  
 
लाखों लाख संभ्रम।
 
लाखों लाख संभ्रम।

06:08, 21 सितम्बर 2006 का अवतरण

लेखक: नईम

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भूत प्रेतों को नहीं, केवल समय को साधना है।

बंधु! मेरी यही पूजा-अर्चना, आराधना है।


शब्द व्याकुल हैं

समय के मंत्र होने के लिए

और यह भाषा

व्यवस्था तंत्र होने के लिए।

हो सकें तो हों हृदय से, ये हमारी कामना है।


देखता बुनियाद पर ही

हो रहे आघात निर्मम

छातियों चिपकाए

लाखों लाख संभ्रम।

राह में मिलते विरोधों का निरंतर सामना है।


आज बाबा की बरातें

सभा सदनों में जमी

कर रहे शव साधना शिव

पूछते हो क्या कभी?

पिलपिला गणतंत्र अपना बंधु सबको व्यापना है।