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19:59, 6 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

चरणदास के पिता मुरलीधर राजस्थान के डेहरा गांव के रहने वााले ढूसर बनिया कुल के थे। पिता के स्वर्गवास के पश्चात चरणदास दिल्ली रहने लगे। बालपन से ही भगवत्-दर्शन की तीव्र आकांक्षा थी। इनके गुरु का नाम सुखानंद था। चरणदास ने 14 वर्ष तक योगाभ्यास किया। इन्हें सिध्दि प्राप्त हुई तथा इनका एक विशाल सत्संग-मंडल बन गया तथा हजारों लोगों को इन्होंने ब्रह्मज्ञान का उपदेश दिया। इनके पद और साखी सगुण एवं निर्गुण दोनों प्रकार की भक्ति पर लिखे गए हैं। इनकी वाणी सहज, सरल और प्रभावशाली है।