Changes

अभी दाई गोबर की थपली थपेगी
माँ भंसाघर में जा पूये तलेगी
 
सिल-बट्टे पे चटनी पीसे सुनयना
"अभी लीपा है घर!", उफ! बड़के भईया
चिल्ला रहे पर्स खोंसे रुपैय
 
आँधी में दादी हैं छ्प्पर जुड़ातीं
वो मामू का तगड़ा कंधा सुहाना
जिस पे था झूला नम्बर से खाना।
 
बड़ा याद आता है बन के प्रवासी
14
edits