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समाधिस्थ / जगदीश चतुर्वेदी
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16:02, 21 अगस्त 2009
::निबिड़ अन्धकार में।
कगारों पर
पडए
पड़े
हैं कटे हुए परिन्दों के अनगिनत पंख
और उन पगचिन्हों के निशान
जो शान्ति की खोज में निर्वासित घूमते रहे।
अनिल जनविजय
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