भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आमद / शीन काफ़ निज़ाम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शीन काफ़ निज़ाम }} {{KKCatNazm}} <poem> घर सहर<ref>प्रातःकाल</ref> क...)
(कोई अंतर नहीं)

13:17, 22 अगस्त 2009 का अवतरण

घर
सहर<ref>प्रातःकाल</ref> के समर<ref>फल</ref>
दर<ref>दरवाज़ा</ref> दरख़्शिन्दा<ref>दीप्त</ref> हुए
सनसनाते नगर में सोए
सवेरे जाग उट्ठे

आँख-अंधों ने
ज़बाँ-गूंगों ने
बहरों ने समाअत<ref>श्रवण-शक्ति</ref>
और सबा<ref>प्रातःकाल की हवा</ref> ने सब्र पाया
आ चुके या आ रहे हो
तुम!


शब्दार्थ
<references/>